।। गीला पतझर ।।
नील आँखी यूरोप का आकाश
वसंत-ऋतु में
जीता है नीलिमा
सुनील आकाश
गगन का वसंत है ।
निलाई जानने वाला आकाश
पिघलकर उतरता है नीलमणि की तरह
माँ के गर्भ में
नवजात शिशु की 'नीली आँख' बनकर ।
धरती के वसंत में
रमने और रमणीयता के लिए
टर्की के ट्युलिप-पुष्प
अपनी कलम से लिखते हैं
वसंत का रंगीनी अभिलेख ।
शीत में ठिठुरता है यूरोप
गीला पतझर ओढ़कर
सो रहती है धरती
धरती की देह पर
झरता है पतझर ।
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