।। अनुभूति रहस्य ।।
प्रेम के क्षणों में
तुममें से उठे सवालों का जवाब देना चाहती हूँ
तुम्हारे हृदय का रिसता रस
मेरे प्रणय का रस है
जो तुमसे होकर मुझ तक पहुँचता है
प्यार एकात्म अनुभूतियों की
अविस्मरणीय दैहिक पहचान है
प्यार में मन
सपने सजाता है तन के लिए
और तन जन्म देता है
मन के लिए पुखराजी सपने
प्यार में
मन तन धरती से
समुद्र में बदल जाता है
और समा जाती है देह
एक दूसरे में
अनन्य राग
अनुराग की साँसों में
माटी से पानी में
बदल जाती है पूरी देह
देह के भीतर के
उड़ने लगते हैं बर्फ़ीले पहाड़ बादल की तरह
देहाकाश में
इंद्रधनुषी इच्छाओं के बीच
प्यार में भाषाओँ
का कोई काज नहीं होता है
'प्यार' ही 'प्यार' की भाषा है
देश-काल की सीमाओं से परे
(हाल ही में प्रकाशित कविता संग्रह 'भोजपत्र' से)
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें