कुछ छोटी कविताएँ
।। नाखून ।।
आदमी
धीरे-धीरे कुतरता है
अपनी औरत को
जैसे
वह
उसके ही हाथ का
नाखून हो ।
।। जोंक ।।
आदमी
चूमते हुए चाटता है औरत को
जोंक की तरह
बाहर से भीतर तक
।। ताबूत ।।
औरत की देह ही
औरत का ताबूत है
जिसे वह
जान पाती है
उम्र ढलने के बाद
जीवन भर
एक ही यात्रा
दैहिक ताबूत से
भौतिक ताबूत तक
।। ग्रेवयार्ड ।।
एक ग्रेवयार्ड से
गुज़रते हुए औरत
सोचती है
चलती हुई कारों के
उस पार
मृतकों का ग्रेवयार्ड है
और
इस पार
चलते और चलाते मनुष्यों का
ज़िंदा ग्रेवयार्ड
।। आवाज़ ।।
संपूर्ण देह को
एक नया शब्द चाहिए
आत्मा भी शामिल हो जिसमें
और दिखाई दे
जैसे देह में
दिखाई देती हैं आँखें
देह
आत्मा की ज़रूरत
नहीं समझती है
आत्मा का दुःख
सिर्फ़ आत्मा जानती है
और साँसों से कहती है
सिर्फ़ ब्रह्माण्ड के लिए
(नए प्रकाशित कविता संग्रह 'गर्भ की उतरन' से)
(नए प्रकाशित कविता संग्रह 'गर्भ की उतरन' से)
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