।। अमिट ।।
प्रेम की कोई उम्र नहीं
सभी कहते हैं
कोई नहीं आँक सकता है
प्रेम की औसत आयु ...
प्रेम
सिर्फ़ उम्र-भीतर
रचाने आता है
रहस्यपूर्ण अनगिनत अनुभूतियाँ
अपने अनमिट चिन्ह
जो
ईश्वरीय हथेली की
विशिष्ट स्पर्श-छाया है
हृदय में अंकित
अमिट और अक्षय
अधर और स्पर्श
मौन और वाणी
देह-भीतर
गढ़ते हैं नवल प्रणय गात
जिसे हम
'ईश्वर' पुकारते हैं
('भोजपत्र' शीर्षक कविता संग्रह से)
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