तीन छोटी कविताएँ
।। सिद्धी ।।
प्रेम
आत्मा का राग है
प्रिय
साधता है उसे
देह के वाद्ययंत्र में
प्रणय-सिद्धियों के निमित्त
।। दुर्गम देह ।।
दैहिक महाद्धीपी दूरियों के बावजूद
हार्दिक लहरें
स्पर्श कर आती हैं चित्त-तट-बंध
और तब
मुक्त हो जाती है देह
देह-सीमा के
दुर्गम बंधनों से
।। रूपांतरण ।।
शब्दों में लीन
ध्वनियाँ
अर्थ में विलीन हो जाती हैं
अर्द्धांगिनी की तरह
जैसे
मैं तुममें
('भोजपत्र' शीर्षक कविता संग्रह से)
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